कर्नल कोठियाल सरकारी मुलाजिम, तो फिर क्यों राजनीति बाजी!

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देहरादूनः कर्नल कोठियाल केन्द्र सर्विस में रहते हुए कैंसे राजनैतिक कार्यक्रम में प्रतिभाग कर सकते हैं और कैसे वो एक दल विशेष का महिमा मंडन कर सकते हैं। वो एक फौजी हैं और सरकारी ऑफिसियल भी। यदि राजनीति करना और बयानबाजी करना उन्हें इतना ही पसंद है तो फिर उन्हें रिटार्यमैंट ले लेना चाहिए। लेकिन बिना रिटार्यमैंट के इस तरह की बयान बाजी कर उन्होंने संविधान और लोकतंत्र का विरोध किया है।

इन्हीं शब्दों को कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा डोसाना ने कर्नल कोठियाल के द्वारा दिए गए भाषण पर कहा। उनका कहना है कि भला एक सरकारी मुलाजिम कैसे राजनीतिक बयान बाजी कर सकते हैं। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका यह बयान व्यक्तिगत तौर पर है।

रूद्रप्रयाग विधायक मनोज रावत का कहना है कि कोई भी व्यक्ति चाहे वो किसी भी क्षेत्र में हो सबकी आचरण संहिताएं बनीं हैं। जिस व्यक्ति को जिस काम को करने के लिए निर्धारित किया है उसे उसी की आचरण संहिता के हिसाब से व्यवहार करना चाहिए। और उसके भीतर ही वह कार्य करे तो ही अच्छा होता है।

दरअसल एक समाचार पत्र में छपी खबर के अनुसार एबीवीपी के प्रांतीय छात्र सम्मेलन में मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे करनल कोठियाल एक ओर जहां इस कार्यक्रम में पूरी तरह भगवा रंग में दिखे, वहीं दूसरी तरफ उनहोंने आपदा के बाद सबसे ज्यादा खतरा लाल दस्तक यानी वाम विचारधारा को बताया। उन्होंने कहा कि यह धीरे-धीरे युवाओं में अपनी पैठ बना रही है। इसका मुकाबला भगवा रंग ही कर सकता है।

वहीं कर्नल कोठियाल से जब मिल रही प्रतिक्रिया पर जवाब चाहा तो उनका कहना है कि मैने इंडियन आर्मी को इतने साल दिए हैं, और मेरी जिम्मेदारी है कि मैं आज के युवाओं को बढ़ते आतंक के बारे में बताउं और मैंने एक्सट्रीमिज्ड़ पर ही बयान दिया था। ना कि वामपंथी पर। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यह एक्सट्रीमिज्ड़ जम्मू कश्मीर में फैले आंतक से भी ज्यादा खतरनाक है। वहीं उन्होंने स्थिति साफ करते हुए कहा कि मैने यह बयान इस लिए दिया क्योंकि उत्तराखंड में बहुत सारे युवा बेरोजगार हैं और युवा ही इन खौफनाक आंतक की ओर ज्यादा आर्कषित होते हैं।

कर्नल कोठियाल के बयान से वाकई में उत्तराखंड राजनीती में भूंचाल सा आ गया है। सूत्रों के अनुसार कर्नल कोठियाल आगामी चुनावों में एमपी की सीट के लिए चुनाव लड़ना चाहते हैं और इसी लिए वो राजनीति में हाथ आजमाने के अपने अथक प्रयास कर रहे हैं। जिसके कारण वो अपनी जिम्मेदारी छोड़ राजनीतिक कार्यक्रमों में शिरकत ही नहीं कर रहे हैं, बल्कि वो राजनीतिक भाषण भी देने लगे हैं।

खैर इस बात में कितनी सच्चाई है यह तो आने वाला ही वक्त बतायेगा, लेकिन जिस प्रकार राजनीति में उनका घुसना और उनका राजनीतिक भाषण सामने आया है तो उस बयान पर बबाल मचना तो लाजमी है। क्यूंकि यदि कोई भी व्यक्ति जब तक सरकारी मुलाजिम है तब तक वह राजनीतिक भाषण नहीं दे सकता है।

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