भारत देश में यूं तो बच्चों का रोजाना अपहरण होता रहता है लेकिन वो नसीब वाले कम ही बच्चे होते हैं जो एक बार बिछुड़ के दोबारा अपनों से मिल पाते हैं। ऐसा ही एक उदाहरण है नसीमजहां का……
नसीमजहां एक 12 साल की बच्ची है जो करीब ढ़ाई माह से चंदौसी, जिला संभल, मुरादाबाद से लापता थी। नसीमजहां का अपहरण संभल स्थित घर से एक बुढ़िया ने किया था। जिसने उससे करीब 15 दिनों तक चंदौसी रेलवे स्टेशन में भीख मंगवाई और फिर वह उसे लेकर हरिद्वार स्थित कलियर ले आई।
हैलो उत्तराखंड न्यूज की टीम से बात करते हुए कलियर थाना प्रभारी देवराज शर्मा ने बताया कि बच्ची कलियर थाना क्षेत्र में ड्यूटी कर रहे पुलिसकर्मियों को मिली। जिनसे नसीमजहां ने अपनी दर्दभरी कहानी बयां की। तब पुलिस वाले उसे अपने साथ थाने में ले आए। जहां उससे उसके घर-परिवार के आदि के बारे में पूछा गया। जिसमें नसीमजहां ने बताया कि उसे उसके मूल स्थान से एक बुढ़िया घुमाने के नाम पर घर से दूर ले आई और फिर उसने भीग मंगवाई।
देवराज शर्मा ने बताया कि बच्ची का कहना है कि वह महिला उससे हर दिन 200 रूपए लेती थी और कलियर में भीख मंगवाती थी। उन्होंने बताया कि बच्ची द्वारा बताए गए पते के अनुसार जब संबंधित थाना क्षेत्र में पता किया गया तो जानकारी सच निकली। बच्ची नसीमजहां की गुमशुदगी उसके पिता रियाजुद्दीन ने उक्त थाने में करीब ढ़ाई महीने पहले दर्ज करवाई थी।
देवराज शर्मा का कहना है कि बच्ची की पहचान पर ही महिला को पकड़ा जा सकता है और आगे की कार्यवाही की जायेगी।
गौरतलब है कि ऑपरेशन स्माइल उत्तराखंड में पुलिस महानिदेशक उत्तराखंड के निर्देशानुसार गुमशुदा बच्चों की तलाश एवं पुनर्वास हेतु चलाया गया एक अभियान है। इस अभियान के तहत अभी तक लगभग 800 बच्चों को उनके अपनों से मिलवाया जा चुका है। लेकिन शायद ये वो बच्चे हैं जो किस्मत वाले हैं क्यूंकि कई ऐसे गुमशुदा बच्चे भी हैं जिनकी राह देखते-देखते उनके परिजनों की आस ही खत्म हो गई है।