एनजीटी और डीजीसीए ने नहीं रोकी है हेली सेवा, बस राज्य सरकार को मानकों पर करना है थोड़ा मंथन

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आज केदार बाबा के कपाट खुलने के साथ ही जहां श्रद्धालुओं में भारी उत्साह है। तो वहीं हेली सेवा के फिलहाल शुरू नहीं होने से, कई श्रद्धालु बाबा के दर्शन करने के सौभाग्य से वंचित हो रहे हैं। दरअसल पर्यावरण और वनजीव को हेली सेवा से हो रहे नुकसान को लेकर पर्यावरणविद् कविता अशोक ने एनजीटी में एक याचिका ड़ाली थी। जिसके बाद याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने 22-4-2017 केंद्रीय पर्यावरण एवं राज्य सरकार को नोटिस जारी कर भारतीय वन्यजीव संस्थान की मानकों की गाइड लाइन पालन करने को लेकर जवाब तलब किया था।

जिसके बाद उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विभाग ने भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा रिपोर्ट का बिना मंथन किये, डीजीसीए और ऑपरेटरों को थमा दिया । नतीजा हेली सर्विस को मजबूरन रूकना पड़ा। जबकि एनजीटी ने अपने 10-12-2015 के आदेश में ये साफ लिखा था कि हेली सेवा पर किसी भी प्रकार की रोक नहीं लगेगी, लेकिन हेली सेवा देने वालों को भारतीय वन्यजीव संस्थान के मानकों का ध्यान रखना होगा। मालूम हो कि, भारतीय वन्यजीव संस्थान ने केदारघाटी के संवेदनशील इलाकों के पर्यावरण और वन्यजीवों को हेलिकॉप्टर की ऊचांई औऱ ध्वनि से हो रहे नुकसान से बचाने के लिए राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी।

इसलिए इस समस्या से निपटने के लिए राज्य सरकार को चाहिए कि वह तुरंत भारतीय वन्यजीव संस्थान के साथ बैठ कर रिपोर्ट को समझकर उसका मंथन करे और शीघ्र ही फैसला ले ताकि पर्यावरण और वन्यजीवों को प्रभावित किया बिना, जल्द से जल्द हेली सेवा शुरू हो सके। जिससे यात्रियों को यात्रा में किसी भी प्रकार की कोई परेशानी न हो और प्रदेश के राजस्व को भी बचाया जा सके ।

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