उत्तराखण्ड में सरकार बनते ही त्रिवेंद्र सरकार ने भ्रष्टाचार पर जिस जीरो टॉलरेंस का हवाला देते हुए एनएच-74 घोटाले की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी, उस पर खुद केंद्र सरकार की आपत्ति सामने आई है।
उत्तराखण्ड सरकार के केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की तरफ से पत्र लिखकर ये कहा गया है कि इस काम में राज्य के अधिकारियों ने वही किया जो केंद्रीय सड़क मंत्रालय ने कहा। पत्र में कहा गया है कि इससे उनके काम में भी फर्क पड़ेगा। केंद्रीय मंत्री गडकरी की तरफ से आये पत्र में लिखा गया है कि इस तरह की जांच से अधिकारियों का मनोबल टूटेगा इसलिए सरकार इसपर दोबारा विचार करे।
गौरतलब है कि भारी बहुमत से सरकार बनाने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाने के संकेत देते हुए तीन सौ करोड़ से ज्यादा के एनएच घोटाले की जांच सीबीआई से कराने का एलान किया था. इसके तत्काल बाद सीबीआई जांच की सिफारिश की गई। महीना भर बीत जाने के बावजूद सीबीआई की ओर से कोई जवाब न आने के चलते मुख्यमंत्री ने रिमाइंडर भी भेजा था। इधर, दो दिन पहले कबीना मंत्री मदन कौशिक ने भी इस मुद्दे पर पत्रकार वार्ता में कहा कि जल्द ही तीसरा रिमाइंडर भेजेंगे। उन्होंने हर हाल में जांच सीबीआई से करवाने का भी दावा किया।
इस विषय पर जब हमने कांग्रेस प्रवक्ता जोत सिंह बिष्ट से बात करी तो उन्होनें कहा है कि ये पत्र बीजेपी के भ्रष्ट्राचार पर जीरो टॉलरेंस पर सवाल खड़े करता है। केंद्र पर आरोप लगाते हुए उन्होनें कहा कि केंद्र द्वारा जांच न करवाना सरकार के लोगों की एनएच- 74 घोटाले में उनकी संलिप्तता की ओर इशारा करता है।
अब देखना होगा की सरकार केंद्र से आए इस पत्र का क्या जवाब देती है औऱ कब तक इस मामले पर सीबीआई जांच शुरू हो पाती है। ये तो तय है कि अगर सीबीआई देवारा जांच शुरू होती है तो तो सरकार और विपक्ष के कई बड़े नेताओं के नाम सामने आ सकते हैं।