एक तरफ आसमां छूती टमाटरों की कीमतें और दूसरी तरफ कुछ यूँ हो रही है बेकदरी

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खाने में स्वाद का जायका बढ़ाने वाला टमाटर अब लोगों के खाने की थाली से गायब होता नजर आ रहा है। हाल ये हैं कि लोगों ने खाने में टमाटर स्तेमाल करना ही बंद कर दिया है। लेकिन राहत की खबर यह है कि एक हफ्ते बाद टमाटर के बढ़ते दामों पर रोक लग जाएगी।

मंडी इंस्पैक्टर अजय डबराल ने हैलो उत्तराखंड से बात करते हुए कहा कि निरंजनपुर मंडी में टमाटर प्रतिदिन 600 क्विंटल आता है और यहां मंडी में टमाटर की कीमत 20 रूपए से लेकर 50 रूपए किलो तक है। उन्होंने बताया कि टमाटर बहुत जल्द ही खराब होने वाली सब्जी है जिसे हम आसानी से स्टोर नहीं कर सकते हैं। जिससे कि टमाटर ज्यादा मात्रा में नहीं लाया जाता और प्याज की ही भांति इसे राशनों की दुकानों में भी नहीं रख सकते । यदि टमाटरों को राशनों की दुकानों में रखा जाता तो शायद टमाटरों की कीमतें यूं आसमां नहीं छूती। उनका कहना है कि टमाटरों का मंहगा होने का कारण ज्यादा बारिश होना भी है जिससे एक तरफ खेतों में टमाटर तो खराब हो ही रहे हैं लेकिन पहाड़ से आने वाला टमाटर सड़कें टूटने व आवाजाही बंद होने के कारण समय पर नहीं पहुंच पा रहा है।

एक तरफ तो टमाटर की कीमतों से कईयों ने अपनी थाली से टमाटर को अलग ही कर दिया है। वहीं दूसरी तरफ निरंजन पुर मंडी में टमाटर जहां-तहां सड़ रहे हैं और बकायदा टमाटर रोड़ों में पड़े गढ्ढों को भी भरने का काम कर रहे हैं। यदि मंडी में कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था होती तो कम से कम टमाटरों की यूं बेकदरी ना होती और ना ही टमाटर यूं सड़ रहे होते

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