उत्तराखंड का एक ऐसा गांव जो खुद को अब चीन की बोडर पर मानने लगा है। ये गांव अपनी बदहाली औऱ सरकार के उदासीन रवैये से इतना परेशान है कि पिछली बार इस गांव के लोगों ने चुनाव का बहिष्कार भी कर दिया था। जिसके बाद कई प्रशासनिक अधिकारियों को ग्रामिणों को समझाने के लिए आना पड़ा। दरअसल गांव वालो की पिड़ा है कि उनके यहां किसी भी तरह की कोई सुविधा नहीं है। यहां तक कि जब कोई महिला गर्भवती होती है तो तो उसे अस्पताल ले जाते जाते कई बार वो अपना नवजात कोख में ही खो देती है।
50 परिवार औऱ लगभाग 250 की जनसंख्या वाला ये तोशी गांव है जो त्रियुगीनारायण के पास है अब खुद को इस देश का मानने से इंकार करने लगा है। इस सवाल का जवाब जब हमने ग्राम प्रधान शशि देवी ने जानना चाहा तो उसने अपनी पिड़ा बताते हुए कहा कि अगर सरकार हमे अपना मानती और हम इस देश के लोग होते तो हमारे साथ ये सब नहीं होता। एक ऐसा गांव जो आज खुद को इस देश का न मानने को मजबूर हो रहा है तो सोचिए कि जो विकास के बड़े बड़े दावें पार्टियों के प्रवक्ता टीवी चैनलों में करते है, वो विकास आखिर इस गांव तक अब तक आखिर क्यों नहीं पहुंचा ?
पिछली सरकार ने जो भी कहा..जो भी किया लेकिन अब तस्वीर बदलनी चाहिए क्योकिं अपने चुनावी वादों मे बीजेपी ने गांव की बदहाली को सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया था। जिसके चलते आज वो 57 सीटों के साथ सत्ता में मौजूद है।
इस गावँ की जिंदगी और परेशानियों से हम कल आपको रूबरू करवाएंगे और बताएँगे की करीब तीन दशकों से क्यू आज भी ये गांव बच्चे की किलकारियों से हे दूर…