देहरादून: बरसात के सीजन में हर साल उत्तराखंड के खंड-खंड हो जाते हैं। हर साल कई पुल टूट जाते हैं, कई गांव-परिवार बह जाते हैं, कई खेत-खलियान चौपट हो जाते हैं, दर्जनों गांवो से संपर्क टूट जाता है। लेकिन हर साल हम बेबश नजर आते हैं।भले ही यह प्राकृतिक आपदा का एक रूप है लेकिन हर साल उत्तराखंड इस परिस्थिति से जूझता चला आ रहा है। हर साल करोड़ों का नुकसान झेलता है। लेकिन फिर भी विकास के नाम पर उत्तराखंड की तरस्वीर हर बरसात में साफ हो जाती है।आइए दिखाते हैं आपको समूचे उत्तराखंड की तस्वीर………..मालपा और मांगती जहां बादल फटने पर अपनी तबाही से अभी तक उभरा नहीं है वहीं लगातार हो रही बारिश ने फिर से उत्तराखंड को खंड-खंड कर दिया है।
लक्सर के सोलानी नदी का तटबंध टूट गया है। जिससे मथाना गांव में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है। दो दर्जन गांव और यहां तक कि जंगलों में भी बाढ़ का पानी फैल गया है। यहां किसानों की पूरी मेहन्नत बाढ़ के पानी में बर्बाद हो गई है। रूड़की भी पहाड़ों में हो रही लगातार बारिश का दंज झेल रहा है। यहां नदियों का जल स्तर बढ़ गया है। हालात यह है कि यहां जौरासी-बहादराबाद मार्ग सोनाली नदी पर बने पुल का एक हिस्सा बह गया है। जिससे यातायात को रोक दिया गया है और रूट को डाइवर्ट कर दिया गया है। जिससे लंढोरा के दर्जनों गांवों का संपर्क टूट गया है। हालांकि एसडीएम रूड़की मयूर दिक्षित का कहना है कि टूटे पुल के हिस्से का निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है। जिससे दो दिन में ही पुन रूट को जोड़ दिया जाएगा।चंपावत में भी एनएच टनकपुर मार्ग ठप पड़ा हुआ है। मार्ग पर मलबा आ जाने से धौंन के पास सुबह से ही सड़क के दोनों साइड़ गाड़ियों की लंबी-लंबी कतारे लगी रहीं।उधर उखीमठ में लगातार हो रही बारिश से केदारघाटी में 38 घंटे की मूसलाधार बारिश ने जीवन-अस्त व्यस्त हो गया है। जोशीमठ में 38 घंटे से बदरीनाथ हाईवे लामबगड़ स्लाइड पर भारी मलबा आने से हाईवे बंद है। फिलहाल एसपी चमोली का कहना है कि आरसीसी की टीम लगातार रोड़ को खुलवाने का काम कर रही है लेकिन बरसात के चलते मलबा बार-बार सड़क पर आ जा रहा है। उनका कहना है कि कल तक मार्ग को दुरूस्त कर दिया जाएगा और यातायात सुचारू रूप से शुरू किया जाएगा।नैनीताल जिले के 8 ग्रामीण मार्ग बंद हैं। जिससे लोगों को आवाजाही में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसी प्रकार अल्मोड़ा, उत्तरकाशी के हालात भी इसी प्रकार हैं जहां बारिश ने आसमान से आफत की बरसात कर दी है। जिससे हर कोई परेशान है।हर साल हजारों लोग बरसात में बेघर हो जाते हैं, हजारों की तादाद में मवेशियां बह जाते हैं। कई घरों के चिराग बुझ चुके हैं। लेकिन हम और हमारी सरकारे इस प्राकृतिक आपदा के आगे विवश हो जाते है। क्या राज्य और केंद्र सरकार मिलकर कोई ऐसा उपाय नही निकाल सकते जिससे आपदा से हाेने वाली क्षति को कम-से-कम किया जा सके।