रुद्रप्रयाग: ग्रामीण विकास की योजनाओं का दूरस्थ गांवों में किस तरह से वारा न्यारा किया जा रहा है यह देखना है तो जखोली तहसील के थाती बडमा गांव में साफ दिख जायेगा। यहां पर मिलन केन्द्र गायों का तबेला बना है तो बारात घर खंडहर।
जखोली विकासखण्ड की थाती बडमा ग्राम पंचायत सरकारी योजनाओं को ठिकाने लगाने का अड्डा बनी हुई है। गांव में वर्ष 2008-09 में डेढ़ लाख रुपये की लागत से दो कमरों का मिलन केन्द्र बनाया गया है लेकिन मिलन केन्द्र अब गौशाला में तब्दील हो चुका है।
वहीं अगर बात करें बारात घर की तो, समाज कल्याण विभाग ने वर्ष 2008 में गांव के बीचों-बीच साढ़े चार लाख रुपये की लागत से बारात घर बनाने का कार्य किया मगर बारात घर आज तक भी पूरा नहीं हो पाया। अब तो बारात घर की जमीन पर अतिक्रमण भी शुरू हो गया है।
लेकिन हैरत कर देने की बात तो यह है कि जिले के मुख्य विकास अधिकारी डा. डीआर जोशी को इन योजनाओं का पता ही नहीं है। उस पर भी बडी बात यह है कि जिले के मुख्य विकास अधिकारी को अभी तक इन योजनाओं की जानकारी ही नहीं है और बिना आंकड़ों को जाने जांच बिठाने की बात कर रहे हैं।
दुर्भाग्य की बात तो यह है कि यह हाल जिस गाँव के हैं उस गाँव को जिले के अधिकारियों ने विकास की मुख्यधारा से जोड़ने का संकल्प लिया है लेकिन गांवों में इस तरह की बदहाल योजनाओं पर कब अधिकारियों का ध्यान जायेगा और कब ग्राम्य विकास की योजनाओं का सही तरीके से धरातलीकरण हो पायेगा यह जवाब शायद ही किसी अधिकारी के पास हो?