पिथौरागढ़: आपदा आने के बाद भले ही कुछ समय बाद आपदा को लोग भूल जाते हों लेकिन आपदा के मंजर को याद करने से हमेशा ही आपदा के जख्म हरे-भरे हो जाते हैं। केदारनाथ त्रास्दी को भले ही 4 साल होने को हैं लेकिन उसके जख्म अभी तक भी भरे नहीं हैं।
वहीं पिथौरागढ़ के मालपा और मांगती में हुई भयंकर तबाही का मंजर अभी लोग भूले नहीं हैं, और भला भूलें भी तो कैंसे यहां बादल फटने की घटना को दो माह होने को हैं लेकिन स्थिति बेबस नजर आ रही है।
पूरी घाटी का सम्पर्क अभी तक भी नहीं जुड़ पाया है। सरकार जहां सड़क मार्ग को दुरुस्त करने के काम में लगी हुई है, वही हैली सेवा से उच्च हिमालय क्षेत्र के गुंजी, गब्र्याग, बुंदी, जिप्ती से लोगों को नीचे धारचूला लाने के काम में लगी हुई है।
जिला प्रशासन का कहना है कि अगले 15 दिनों में नंजग से मालपा तक के खत्म हुये पैदल रास्तों को बना लिया जाऐगा जिससे पूरी घाटी में खत्म हुई कनेक्टिविटी दोबारा से बहाल हो सकेगी।
गौरतलब है कि मालपा और मांगती की त्रासदी में 32 लोग लापता हो गये थे। जिसमे 9 लोगो के शव बरामद हो गये है, जबकि 23 लोग अभी भी लापता है। जिसमें 119 इंडिपेन्डेन्ट माउण्ट बिग्रेड के 7 सैनिक भी शामिल हैं। इस प्राकृति आपदा में 144 से अधिक मवेसी भी काल के आगोश में समा गए।