ग्रीन बोनस यानी कि प्रदेश द्वारा अपनी वन संपदा को बचाये रखने और मैदानों के प्रदूषण को सोखने के बाद उन्हें शुद्ध वायु देने की एवज में केंद्र द्वारा दी जाने वाली प्रोत्साहन राशी। जो उन राज्यों को दी जाती है जो अपने राज्य में वनों को बढ़ावा देते हैं। लेकिन बावजूद इसके उत्तराखंड को ग्रीन बोनस के लिए काफी समय से इन्तजार करवाया जा रहा है।
बताये कि ग्रीन बोनस की मांग पिछली सरकार के समय से लगातार की जा रही थी । जिसपर त्रिवेंद्र सरकार ने कदम बढ़ाते हुए एक बार फिर नीति आयोग की बैठक के दौरान उत्तराखण्ड को ग्रीन बोनस देने की मांग की है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने रविवार दिल्ली में नीति आयोग की बैठक में कहा कि उत्तराखण्ड करीब 40 हजार करोड़ से ज्यादा की पर्यावरण सेवाएं दे रहा है, जिसके एवज में उत्तराखण्ड को सलाना 4 हजार करोड़ ग्रीन बोनस के रुप में केंद्र सरकार से मिलने चाहिए।
मालूम हो कि पूर्व हरीश रावत सरकार भी केंद्र से निरंतर ग्रीन बोनस की मांग कर रही थी लेकिन उस दौरान ये मांग पूरी नहीं की गई। अब सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ग्रीन बोनस समेत उत्तराखण्ड को विशेष पैकेज समेत 7500 हजार करोड़ से ज्यादा की सहायता की मांग है.
राज्य द्वारा केंद्र के सामने अपना पक्ष मजबूती के साथ न रख पाना भी अब तक ग्रीन बोनस न मिलने की सबसे बड़ी वजह रही है।
क्योकिं अब डबल इंजन लग चुका है, राज्य और केंद्र में बीजेपी की ही सरकार है इसलिए ये उम्मीद पुख्ता है कि प्रदेश को ग्रीन बोनस के साथ साथ विशेष पैकेज भी जल्द से जल्द मिलेगा।
ताकि आपदा और भौगोलिक रूप से संवेदनशील उत्तराखंड राज्य के विकास में बजट की कमी आड़े ना आये।