डोक्लाम को लेकर भारत और चीन के काफी समय से तनातनी चल रही है, दोनों देशो की सेना आर-पार तैनात है। दिन-ब-दिन ये तनाव घटने के बजाये बढता ही जा रहा है साथ ही चीन ने अब तक कई बार भारत को अप्रत्यक्ष रूप से युद्ध का डर भी दिखा रहा है ऐसे में 1962 का इतिहास कही दोहराया न जाये इसकी भी आशंकाए बनी हुई है।
एक ओर तनाव पूर्ण स्थिति को देखते हुए, दुसरे देश भारत का साथ देते हुए चीन की हरकतों की भर्त्सना कर रहे है तो वही भारत के पास अपने रक्षा मंत्रालय में स्थाई रक्षा मंत्री ही नही है।
रक्षा मंत्रालय का अतिरिक्त भार वित्त मंत्री अरुण जेटली को सौंप रखा है, जो की रक्षा मंत्रालय और देश की सुरक्षा के लिहाज से काफी बड़ी चुक साबित हो सकती है क्योंकि रक्षा मंत्रालय काफी संवेदनशील और गहनता के साथ चलाये जाने वाला मंत्रालय है। सरकार को ये समझाने की जरूरत है कि रक्षा मंत्रालय कोई मामूली विभाग नही है इसके साथ अरबों देश वासियों की सुरक्षा जुडी है।
वही दिनों-दिन संजीदा होते जा रहे चीन-भारत मामले को सुलटाने के लिए भी रक्षा मंत्री का अहम योगदान होना चाहिए जो अभी कही नजर नही आ रहा है। देश के हर भाग की सुरक्षा सुनिश्चित करने का जिम्मा रक्षा मंत्रालय का होता है। देश की सुरक्षा के संबंध में जिम्मेदारी निभाने के लिए नीति संबंधी ढांचा तय करना, उनका अनुपालन करवाना के साथ कई अहम कार्यो का निर्वाह करना होता है।
रक्षा मंत्रालय का काम एक ‘फुल टाइम जॉब’ की तरह होना बहुत जरूरी है, एकीकृत रक्षा स्टाफ और तीनों सेनाओं का संचालन का जिम्मा रक्षा मंत्रालय के मुख्या के कन्धों पर ही होता है। रक्षा बजट, स्थापना संबंधी मामलों, रक्षा नीति, संसद संबंधी मामलों, विदेशों के साथ सहयोग और रक्षा संबंधी सभी कार्य-कलापों के समन्वय के लिए भी जिम्मेदार होता है। ऐसे में रक्षा मंत्रालय को आतिरिक्त भार के रूप में वित्त मंत्री को सौंप देना समझदारी तो बिलकुल नही लगती है।
अरुण जेटली को रक्षा संबंधी मामलों का कोई अनुभव भी नहीं है, किसी भी एक व्यक्ति को दो-दो केंद्रीय मंत्रालय की जिम्मेदारी देना, यह अपने-आप में एक राजनीतिक अदूरदर्शिता है।
एक तरफ चीन भारत पर दवाब बनाने की कोशिश में निरंतर लगा हुआ है और दूसरी तरफ पाकिस्तान भारत को तिरछी नजर बनाये हुए है, ऐसे नाजुक वक़्त में तो कम-से-कम मोदी सरकार को सूझ-बुझ का इस्तेमाल करते हुए स्थाई रक्षा मंत्री नियुक्त कर देना चाहिए जो रक्षा संबंधी मामलों और कूटनीति की समझ रखता हो। ताकि देश की रक्षा की कमान सही हाथो पर हो और देश विपरीत परिस्थितियों की संभावनाओ के लिए भी तैयार रह सके।