नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार यानी आज से अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले की अहम सुनवाई शुरू हुई और कुछ समय बाद ही यह 8 फरवरी तक के लिए टाल दी गई. इस जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की बेंच इस मामले की हाई वोल्टेज सुनवाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले से जुड़े सभी वकीलों को कहा कि मामले से जुडे सभी दस्तावेजों को पूरा करें ताकि मामले की सुनवाई ना टाली जाए.
अयोध्या में 1990 में कार सेवकों पर फायरिंग का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा
सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कहा कि मामले की सुनवाई टाली जाए. उन्होंने कहा कि इसकी सुनवाई 2019 के आम चुनाव के बाद हो. कपिल सिब्बल ने कहा कि सुनवाई इसलिए टाली जाए क्योंकि कोर्ट के फैसले का देश में बड़ा असर पड़ेगा. ये उनके चुनाव मैनिफेस्टो में था कि वो कानूनी तरीके से मंदिर बनाएंगे. अगर अभी सुनवाई हुई तो देश के राजनीतिक भविष्य पर असर होगा. अभी तक सारी कागजी कार्रवाई भी पूरी नहीं हुई है.
CJI ने कहा कि हमें इससे फर्क नहीं पड़ता कि कोर्ट से बाहर क्या चल रहा है. दूसरे पक्ष की ओर से कहा गया कि कागजी कार्रवाई पूरी हो चुकी है लिहाजा सुनवाई शुरु की जाए. दोनों पक्षों में कोर्ट में जोरदार बहस हुई. CJI ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सब पक्षकार जनवरी में सुनवाई के लिए तैयार हो गए थे और अब कह रहे हैं कि जुलाई 2019 के बाद सुनवाई हो.
हजारों पन्नों के अदालती दस्तावेजों का अंग्रेजी में अनुवाद न होने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले पर पांच दिसंबर से सुनवाई करने का निर्णय लिया था. अनुवाद अब पूरा हो चुका है. अदालत ने सभी पक्षकारों को हिन्दी, पाली, उर्दू, अरबी, पारसी, संस्कृत आदि सात भाषाओं के अदालती दस्तावेजों का 12 हफ्ते में अंग्रेजी में अनुवाद करने का निर्देश दिया था. उत्तर प्रदेश सरकार को विभिन्न भाषाओं के मौखिक साक्ष्यों का अंग्रेजी में अनुवाद करने का जिम्मा सौंपा गया था.