प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रस्तावित अमेरिका यात्रा से पहले भारत ने ट्रंप प्रशासन को करारा झटका दिया हैं। दरअसल भारत के रक्षा मंत्रालय ने अमेरिका से 16 हेलिकॉप्टर खरीदने का सौदा किया था लेकिन कीमत को लेकर बात नहीं बनी तो रक्षा मंत्रालय ने इस सौदे को रद्द कर दिया। सेना के आधुनिकीकरण के लिए बजट में इजाफा नहीं होने के चलते रक्षा मंत्रालय को सैन्य उपकरण और विमानों की कीमत कम कराने के लिए सौदेबाजी करनी पड़ रही है।
भारतीय नौसेना के लिए हेलिकॉप्टर खरीदने के लिए अमेरिकी विमानन निर्माता कंपनी सिकोरस्की एयरक्राफ्ट से 6,500 करोड़ रुपये का सौदा हुआ था। भारतीय नौसेना के लिए 16 हेलीकॉप्टर खरीदने की यह डील तत्कालीन यूपीए सरकार ने वर्ष 2009 में की थी और यह सौदा पिछले दो सालों से लटका हुआ था। वही सिकोरस्की की ओर से इस सौदे की अवधि बढ़ाने से इनकार करने के बाद भारत ने यह अहम फैसला लिया हैं।
अब इस सौदे को रद्द करने के बाद रक्षा मंत्रालय ने सैन्य क्षेत्र में मेक इन इंडिया को प्रमोट करने का फैसला लिया है और वह ‘मेक इन इंडिया’ को सैन्य क्षेत्र में प्रभावी बनाना चाहती है, ताकि भारत को रक्षा उपकरणों के लिए अन्य देशों पर निर्भर ना होना पड़े और साथ ही साथ रक्षा क्षेत्र में इंपोर्ट को कम किया जा सके।
पीएम मोदी के अमेरिका दौरे से महज दो सप्ताह पहले रक्षा मंत्रालय का यह फैसला सामने आया हैं। मालूम हो कि मोदी 25 जून को अमेरिका के लिए रवाना हो रहे हैं, जहां वह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात करेंगे। ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद मोदी पहली बार अमेरिका के दौरे पर जा रहे हैं। विदेश मंत्रालय के मुताबिक यह यात्रा गहरे द्विपक्षीय संबंधों को दिशा प्रदान करेगी। ट्रंप के साथ पीएम मोदी की ये पहली मुलाकात होगी। इस दौरान वीजा संबंधी बदलावों पर भी चर्चा हो सकती है।
जल सीमा को और सुरक्षित और मजबूत करने के लिए अब नौसेना जंगी बेड़ों को 140 मल्टीरोल हेलीकॉप्टरों से लैस करेगी।
भारतीय वायु सेना अब अपने बेड़े में ज्यादा से ज्यादा स्वदेशी विमानों को शामिल करना चाहती हैं। इसके लिए भारतीय वायु सेना अमेरिकन एफ-16 और स्विडिश साब ग्रिपेन फाइटर एयरक्राफ्ट का ट्रायल लेनेवाली हैं। इस प्रोजेक्ट के तहत दोनों में से किसी एक फाइटर एयरक्राफ्ट को चुन कर 120 कांबेट प्लेन बनाने की योजना हैं। प्रोजेक्ट की कुल लागत 1.3 लाख करोड़ आने की उम्मीद हैं।