अभिभावकों और दिव्यांक भाई-बहन की देखरेख न करना पड़ेगा महंगा….

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गुवाहाटी: ऐसे वाकये आये दिन सामने आते है जब खुद के बच्चे अपने अभिभावकों से पीछा छुड़ाने के लिए उन्हें वृद्धाआश्रम भेज देते है और अपने दिव्यांक भाई-बहन को e आनाथ आश्रम भेज देते है इन सबको रोकने के लिए असम विधानसभा ने एक विधेयक पारित किया है।

जिसमें प्रावधान किया गया है कि अगर राज्य सरकार के कर्मचारी अपने अभिभावकों और दिव्यांग भाई-बहनों की देखभाल नहीं करेंगे तो उनके मासिक वेतन में 10 प्रतिशत की कटौती की जाएगी। वेतन से काटी गयी राशि उनके अभिभावकों या भाई-बहनों को उनकी देखभाल के लिए दी जाएगी।

इस फैसले से बच्चों द्वारा ध्यान न दिए जाने से परेशान अभिभावकों को राहत मिलने की उम्मीद है। असम विधानसभा ने शुक्रवार को ये विधेयक चर्चा करने के बाद ध्वनिमत से पारित किया है।

असम कर्मचारी अभिभावक जवाबदेही एवं निगरानी विधेयक, 2017 के प्रावधानों के तहत राज्य सरकार या असम में किसी अन्य संगठन के कर्मचारी अपने अभिभावकों या दिव्यांग भाई-बहनों की देखभाल करेंगे।

इस विधेयक का मकसद राज्य कर्मचारियों के निजी जीवन में हस्तक्षेप करने का नहीं बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि अनदेखी किए जाने की स्थिति में अभिभावक या दिव्यांग भाई बहन कर्मचारियों के विभाग में शिकायत कर सकते हैं।

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